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यदि मानव अधिकार ना हो तो हमारा जीवन पशुओं से भी बदतर हो जायेगा, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमें आज के समय में कई तानाशाही और धार्मिक रुप से संचालित होने वाले देशों में देखने को मिलता है। जहां सिर्फ अपने विचार व्यक्त कर देने पर या फिर कोई छोटी सी गलती कर देने पर किसी व्यक्ति को मृत्युदंड जैसी कठोर सजा सुना दी जाती है क्योंकि ना तो कोई वहा मानव अधिकार नियम है ना तो किसी तरह का कानून, इसके साथ ही ऐसे देशों में सजा मिलने पर भी बंदियों के साथ पशुओं से भी बुरा सलूक किया जाता है।

ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ इंटरव्यू इंटरव्यू रणनीति

मुख्य परीक्षा (वर्षवार) मुख्य परीक्षा (विषयानुसार) ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन

मानव द्वारा मानव के दर्द को पहचानने और महसूस करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं होती है। अगर हमारे मन में मानवता है ही नहीं तो फिर हम साल में पचासों दिन ये मानवाधिकार का झंडा उठाकर घूमते रहें, तो कुछ भी नहीं किया जा सकता है। ये तो वो जज्बा है, जो हर इंसान के दिल में हमेशा ही बना रहता है, बशर्ते कि वह इंसान संवेदनशील हो। क्या हमारी संवेदनाएं मर चुकी हैं?

प्रैक्टिस टेस्ट डेली एडिटोरियल टेस्ट

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट, जानिए कैसे बचें भारत: समय पर जनगणना क्यों जरूरी है

बटला हाउस मुठभेड़ पर एन.एच.आर.सी. की कार्यवाही

अपराध सिद्ध न होने तक निर्दोष माने जाने का अधिकार

प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम & रणनीति पाठ्यक्रम

हर व्यक्ति को मूल मानवाधिकारों का आनंद लेने का हक है। कभी-कभी इन अधिकारों में से कुछ का सरकार द्वारा दुरूपयोग किया जाता है। सरकार कुछ गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से मानवाधिकारों के दुरुपयोगों पर नजर रखने के लिए उपाय कर रही है।

सामान्यतः विचारण नहीं की जाने वाली शिकायतें

मासिक करेंट अपडेट्स संग्रह संसद टीवी संवाद

उन्हें बुद्धि और अंतरात्मा की देन प्राप्त हैं और उन्हें here परस्पर भाईचारे के साथ बर्ताव करना चाहिए.

विगत वर्षों के प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा)

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